
सुगंधा एक मौन – 17
अनमना सा अतुल कॉलेज के लॉन में अकेला बैठा था, अभी पहला पीरियड चल रहा था लेकिन क्लास में जाने का उसका बिलकुल मन नही हुआ, उसे वहां बैठा देख आरवआता है, देखते देखते जयंत, अंकिता, रितेश, विनी, आदित्य, संजना और कार्तिक आकर उसे घेर कर बैठ जाते है| ये अतुल का बेस्ट फ्रेंड वाला ग्रुप था, जो साथ में ही क्लास बंक करता था| सबके चेहरे पर बारह बज रहे थे|
आखिर बहुत देर की चुप्पी से तंग आकर संजना बोल पड़ती है – “अब इस तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से होगा क्या ?”
“तो क्या कर सकते है हम ?” विनी धीरे से कहकर बाकियों का चेहरा देखने लगा माँ नों सभी के शब्द उसकी जुबान से निकले हो|
संजना भी परेशान होती अतुल की तरफ देखती है फिर अचानक जैसे कुछ क्लीक करता है दिमाँ ग में जिससे वह लगभग उछलती हुई उन सबके बीच आकर बैठती सभी को अपने पास बुलाती हुई कहती है – “फ्रेंड्स – एक जबरदस्त आईडिया आया है|”
ये सुन सब अपनी अपनी आश्चर्य से फैली ऑंखें उसी पर टिका देते है|
“हम सब मिलकर सुगंधा जी को ढूंढते है|”
“क्या !!!” सबके मुंह एक साथ खुले के खुले रह गए|
“दिमाँ ग ठीक है – हम कहाँ ढूंढेंगे ?” जयंत कह उठा|
“अरे गजब का आईडिया है फ्रेंड्स – हम सब मिलकर ढूंढेंगे|” अंकिता भी अपनी सहमति देती है|
“हाँ मिलकर ढूंढेंगे – इंदौर जरा सा है न जो ये गली गए और वो गली से वापस आ गए – और कहीं शहर से बाहर हुई तो…!!” आरवकहता है|
“ये हो ही नही सकता – |” विनी भी अपनी मंशा जाहिर करता है|
“क्यों !!!” कार्तिक बोल उठता है|
“अरे थोडा दिमाँ ग का यूज़ भी कर लिया करो – सुगंधा जी ट्यूशन पढ़ाती है और ये सेमेस्टर के बीच का समय है वे मुझे नहीं लगता अपने स्टूडेंट्स को बीच मंझधार में छोड़ेंगी|” संजना अपनी बात अच्छे से समझाती हुई कहती है|
“हाँ और इस समय न किसी टीचर को नया स्टूडेंट मिलता है और न स्टूडेंट को नया टीचर|” अब जयंत का दिमाँ ग भी खुलता है|
“तो इसका मतलब उन्होंने जहाँ कहीं भी घर लिया है वहां क्लास तो चल ही रही होगी|” बहुत देर से चुप अतुल लगभग चहकते हुए बोला|
“बिलकुल – अब समझे न मेरी बात |” संजना अपनी आँखों उसकी आँखों में डालती हुई बोली|
“वाह यार क्या दिमाँ ग के घोड़े दौडाए है |” आदित्य भी चहका|
“आखिर कॉमर्स की स्टूडेंट हूँ – सब नाप जोख कर कहती हूँ |” संजना अपनी भौं उचकाती हुई कहती है|
“पर ढूंढेंगे कैसे ?” कार्तिक अभी भी उलझा था|
“हम सारे दोस्त मिलकर – हम साथ है तो इंदौर क्या इण्डिया में से भी उन्हें खोज लाएँगे – हम किसी गूगल मैप से कम है क्या|”
सारे दोस्त एकसाथ खिलखिलाकर हंस पड़े|
“पहले यार कैंटीन चलते है – जबतक गर्म समोसा अन्दर नही जाएगा – मेरा तो दिमाँ ग ही नहीं खुलेगा |” अतुल जल्दी से खड़ा होता हुआ कहता है तो सभी भी उसी के साथ हो लेते है|
“ये देखो यहाँ हम इतने गंभीर मसले पर बात कर रहे है जनाब समोसे में अटके है|” सबके आगे बढ़ते पीछे रह गई अंकिता और संजना एक दूसरें का चेहरा देखने लगती है|
“ये न सुधरेंगे |” दोनों आपस में ही खिलखिला पड़ी|
अब उनकी महफ़िल कैंटीन में जमी थी|
अतुल अब अपने भाई का हाल बताता अपना सर खुजा रहा था – “लेकिन भईया तो ढूंढना ही नही चाहते – कहीं हम कुछ गलती तो नही कर रहे|”
“अरे बुद्धू – ये इश्क की राह है – जो जुबान कहती है दिल वो माँ नता कहाँ है|” अंकिता अतुल के सर पर टीप माँ रती हुई कहती है तो उसे देख जयंत धीरे से मुस्करा देता है|
“इनसे तो कोई इश्क की बात न करे – |” संजना गहरा उच्छवास छोड़ती अतुल की तरफ देखती है जो अब समोसा आने पर झट से पहला गर्म समोसा अपने मुंह में रखे बन्दर की तरह उछल रहा था|
सारे दोस्त मिलकर अब आगे की योजना पर बात कर तय करते है कि किस किस इलाके में उन्हें जाना है| उनमे जो विनी इकलौता मैथ्स का स्टूडेंट था वो अपने कुछ दोस्तों से कोचिंग का पता करने की कहता है| दिक्कत ये थी कि चेहरा तो सिर्फ अतुल का देखा हुआ था तो उन्हें निशा नाम से ही पता करना था|
***
चिराग के पिता बेड के सिरहाने लेटे तब से अपनी पत्नी को उनके नजदीक की टेबल से लेकर उनकी पहुँच तक में उनकी जरुरत का हर सामाँ न उनके पास संजोते देख रहे थे, ये देख वे धीरे से हंस पड़े तो वे तिरछी निगाह से उनकी तरफ देखती हुई पूछती है –
“आप हँसे क्यों !!”
“आप तो ऐसा प्रबंध कर रही है जिससे हमाँ रा शरीर जरा भी हिलेगा ही नही |”
वे उनकी हंसी पर थोड़ा नाराजगी का लेप लगाती हुई बोली – “जी हाँ – आप अभी हिलेंगे भी नही – डॉक्टर ने आपको पूरा आराम करने को कहा है और न आप तब तक ऑफिस जाएँगे |”
“अरे गज़ब करती है आप – चिराग ..|”
वे बस नाम ले ही रहे थे कि उसी वक़्त अपने तेज क़दमों से चिराग वही आ रहा था जिसे देखते माँ का मन उल्लसित हो उठा|
“अरे वाह नाम लिया और तुम आ गए – मेरे बच्चे लम्बी हो तुम्हारी उम्र |” माँ आगे बढ़कर उसे वही बैठाती हुई कहती है|
पिता भी मुस्करा रहे थे पर इसके विपरीत चिराग के चेहरे के भाव सपाट बने हुए थे|
“डैड अब आपकी तबियत कैसी है ?”
“बिलकुल ठीक है पर तुम्हारी माँ तो मुझे बिस्तर से उठने ही नही दे रही |” वे हंसकर अपनी बात कहते है|
“क्या ठीक है – कल से आपका बीपी लो चल रहा है और कहते है ठीक है|” वे अभी भी अपनी बातोंसे नाराजगी व्यक्त करती रही|
“अरे पत्नी जी – ब्लडप्रेशर ऊपर नीचे तो होता रहेगा अब जरा जरा सी बात पर घर बैठ जाऊंगा क्या !!” वे अपनी बात की सहमति के लिए चिराग की तरफ मुस्करा कर देखते है पर इसके विपरीत वह बेहद संजीदगी से कहता है –
“माँ ठीक कह रही है – आप आराम करिए डैड – मैं ऑफिस जा रहा हूँ – टेक केयर |” वह कहता उठकर बाहर भी निकल गया और वे हैरान उसे जाता हुआ देखते रहे|
फिर वे एक दूसरें की ओर देखकर जैसे अपने एक ही सवाल का जवाब एक दूसरे से माँ गने लगे|
“वक़्त के पास सारे दर्द का मरहम है – चिराग भी वक़्त के साथ संभल जाएगा|” कल्याणी जी अपनी बात कहकर पति के पास बैठी फिर से उनकी मेज सहेजने लगती है|
चिराग पूरी ख़ामोशी से नाश्ते की मेज पर जैसे कोई रस्म पूर्ति के लिए आता और आधा खाया आधा छोड़कर उठ जाता है, काकी चुपचाप खड़ी देखती रह जाती है|
चिराग बाहर निकलकर गार्डन के मुहाने से गुज़र रहा था, वही गार्डन में अतुल की बेस्ट फ्रेंड वाली धमाँ चौकड़ी टीम अचानक से चिराग को देख यूँ चुप हो जाती है माँ नों सांप सूंघ गया हो, चिराग उनकी तरफ पलटकर देखता भी नही पर चिराग से खौफज़दा वे सब डरकर इधर उधर हो लेते है| आरवतुरंत टेबल के नीचे घुस जाता है, तो विनी पेड़ के पीछे, रितेश कुर्सी के पीछे तो आदित्य और कार्तिक दौड़कर गमलों के पीछे छुप जाते है, ये देख अंकिता और संजना का मुंह खुला का खुला रह जाता है| लेकिन चिराग उनपर ध्यान न देता हुआ कार में बैठ निकल जाता है|
अपने दोस्तों की ये हालत देख अतुल पेट पकड़कर हंस पड़ता है जिससे चिढ़ते हुए सब बारी बारी से निकलकर अब उसी को घूर रहे थे|
“बहुत हंसी आ रही है – तुमने बताया क्यों नही कि तुम्हारा गब्बरसिंह भाई घर पर ही है – अभी हमे देख लेते तो अच्छे से खबर लेते|”
“नही देखा न और देख भी लेते तो भी कुछ नही होता|” अतुल हँसते हँसते कह रहा था|
अब सभी एकसाथ उसको अपनी अपनी घूरती आँखों से देख रहे थे|
“अब भईया बहुत बदल गए है इनफैकट मैं तो कहता हूँ अच्छा है सुगंधा जी न मिले – भईया तो अब कुछ बोलते ही नहीं|” अतुल हँसते हँसते कहे जा रहा था और हैरान सब उसे सुनते हुए देख रहे थे|
“पहले तो यहाँ क्यों खड़े हो – पढ़ क्यों नही रहे – खाना क्यों छोड़ा – मोबाईल में क्या देख रहे हो – जैसे ही दिखता नही था वैसे ही टोकना शुरू – अब तो कुछ नही कहते जो चाहे उनके सामने करो – देखते भी नही |” ये सुन ताली माँ र सारे दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े लेकिन इसके विपरीत संजना का चेहरा एक दम से गुस्से में बदल जाता है|
“ये खुश होने वाली बात है !!!”
“तो !!!” सब चुप होकर उसकी ओर देखने लगे|
“ये तो और परेशान होने वाली बात है – भईया परेशान है इसलिए किसी से कुछ नही कह रहे|”
अतुल संजना का चेहरा औचक देख रहा था तो संजना मन ही मन कह उठी – ‘’क्या समझाऊ इन बेवकूफों को – ये इश्क वाली बात है – हाय काश कोई मुझे भी ऐसे टूट कर प्यार करता|’
उन बेचारों को वह देख ही रही थी कि पीछे से माँ की आवाज गूंजी –
“अतुल |”
सभी उनको देख नमस्ते नमस्ते की झड़ी लगा देते है| अतुल उन्हें बताने लगता है कि दो दिन से वह कॉलेज नही गया इसलिए उसके दोस्त उसे नोट्स देने आए है|
माँ हैरान इतने सारे दोस्तों को देखती हुई बोली – “इतने सारे विषय है बेटा तुम्हारे !!”
पता नही वे कितना बात को समझ पाए पर ये सुन सब हंस पड़ते है|
माँ उन सबके लिए खाने को भिजवाने को कहकर चली जाती है|
कुछ ही देर में काकी ढेरों नाश्ते से उनके सामने की मेज सजा देती है|
“अब हम सब आगे के प्लान के बारे में सब तय करते है|”
“यहाँ नहीं मम्मी ने सुन लिया तो !! कल कैंटीन में |” अतुल धीरे से कहता है|
“नही कैंटीन बिलकुल नहीं – हम सब सुबह ग्राउंड में मिलेंगे – |” संजना कहती है तो उसके सुर में सुर मिलाती अंकिता भी बोल पड़ती है – “हाँ और क्या कैंटीन जाते इन्हें सिवाए समोसा के कुछ समझ ही नही आता – इतनी सीरियस बात है – हम कल से ही अपना खोजी प्लान शुरू करते है|”
“हाँ ये ठीक रहेगा |” सभी अंकिता की बात पर अपनी अपनी सहमति देते है तो अतुल गर्म गर्म पकोड़ी मुंह में रखे रखे उन्हें देखता रहता है|
क्रमशः…..
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