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सुगंधा एक मौन @TrueLove – 1

चिराग जिसे पूरे दो साल बाद होश आया था जिससे उसका परिवार ख़ुशी से फूला नही समां रहा था लेकिन कोमा से होश में आते ही चिराग एक ही नाम लेता है – सुगंधा…आखिर कौन है सुगंधा जिसके बारे में उसे उसके नाम के सिवा कुछ भी याद नहीं, उसके परिवार वाले भी नहीं जानते उसे यहाँ तक की उसका जिगरी दोस्त अमित भी उस लड़की के बारे में नहीं जानता…तो क्या चिराग अपने अतीत और सुगंधा को कभी खोज भी पाएगा…जानने के लिए पढ़ते रहे………..

सुगंधा एक मौन @TrueLove – 1

क्लास स्टार्ट हो चुकी थी, वह अन्दर जाने में बस दस मिनट लेट हो गया, वह दीवारकी साईड खिड़की से झांककर अपने दोस्तों की नज़र को दिखता हुआ उनसे इशारे में अन्दर आने के बारे में पूछता है| उनमें से आरव अपना अंगूठा ऊपर कर उसे अन्दर आने का निमंत्रण दे देता है, जैसे ही कुमार सर का सर वाइट बोर्ड की तरफ घूमता है अतुल धीरे से सर झुकाकर सामने की तीसरी बैंच पर अपने दोस्त जयंत और अंकिता के बगल में जगह करता हुआ जल्दी से अपने सामने किताब खोल अपने बहुत पहले से आने का अभिनय करता हुआ बैठ जाता है|

उसके पीछे बैठे उसके बाकी दोस्त भी मुस्करा कर थम्सअप की मुद्रा से उसका हौसला बढ़ाते है| अंकिता धीरे से फुसफुसाती हुई पूछती है – ‘आज फिर क्यों लेट – अपने भईया की वज़ह से न !!’ अपने सवाल का खुद ही उत्तर देती धीरे से मुस्करा देती है|

सर पढ़ाते पढ़ाते फिर छात्रों की ओर देखते है तो उन्हें अपने क्लास में कुछ बदलाव नज़र आता है, सबसे पीछे खाली तीन बैंचों के अलावा सभी सीटों पर दो दो सर थे बस अंकिता की सीट को छोड़कर|

फिर भी वे पढ़ाते रहते है|

अबकि अतुल धीरे से फुसफुसाता है – ‘सर पढ़ा क्या रहे है कुछ समझ नहीं आ रहा |’

‘कहाँ से आएगा – अपने भईया से फुर्सत पाओ तब न!’ अंकिता भी जवाब में फुसफुसाती है|

‘अरे सर एक ही चैप्टर को दस बार दस एंगल से पढ़ाने लगते है – समझ में कहाँ से आएगा -|’ जयंत बिना गर्दन हिलाए अपनी बात कहता है|

इस पर उनके बीच बैठी अंकिता सर की बात न सुन पाने से दोनों को घूरती है|

‘मेरा पढ़ा है – मैं समझा दूंगा तुझे|’ जयंत अतुल तक अपनी फुसफुसाहट पहुंचाता है|

‘तो बुलाया क्यों !!’

‘फ्री के पेडे बंट रहे थे इसलिए बुलाया |’

अंकिता की हँसी छूट जाती है|

अतुल सर उठाता है तो सर उसके सिर पर खड़े दिखाई देते है और अगले ही क्षण तीनों क्लास के बाहर खुद को खड़ा पाते है|

“सब तुम्हारी वज़ह से हुआ |” अंकिता अपने हाथ की पकड़ी किताब से अतुल को माँ रने आती है|

जयंत भी एक धौल जमाते हुए कहता है – “न खुद पढ़ता है न हमे पढ़ने देता है |”

“ज्यादा पढ़ाकू न बनो – सब पता है|” अतुल दोनों को देख धीरे से मुस्करा कर अपनी बाई आंख दबाता है तो तीनों खुल कर हँस देते है |

“चल कैंटीन – जब तक क्लास चलेगी अपन लोग समोसा उड़ाते है|’

तीनों दोस्त कैंटीन की अपनी पसंदीदा टेबल पर आकर जम गए|

“ये बता अब तो तेरे भईया ठीक हो गए फिर क्यों देर लग गई आज |”

जयंत उसके टीप मारते हुए पूछता है |

“तुम लोग समझते नही हो यार – दो साल में वो बहुत कुछ भूल गए है तो सुबह उनकी मदद के लिए मुझे उनके साथ देर हो जाती है न |”

“यार ऐसा भी होता है क्या !!”  अंकिता की आंखे आश्चर्य से दोहरी हो जाती है |

“हाँ इवन भईया अपने कमरे की दिशा तक भूल गए – कमरे से बाहर निकलते है तो दुबारा जाने लिए अपना कमरा ही ढूंढने लगते है|” अतुल ने सपाट शब्दों में अपनी बात रखी|

उसी बीच उनके बीच आठ दस समोसों से सजी प्लेट आ गई जिस पर तीनों एक एक उठाकर जल्दी जल्दी गप करने लगे कि अंकिता का मुंह जल गया|

“संभल कर |”

जयंत की बात पर अंकिता मुस्करा दी|

“ये बता सब भूल गए भईया पर उन्हें वो लड़की याद है कि नहीं जिसकी वज़ह से उनकी ये हालत हुई ?” जयंत अपना पहला समोसा खत्म कर दूसरा उठाता हुआ पूछता है|

“यही तो होश में आते ही उनका पहला शब्द वो नाम ही था ‘सुगंधा’ – पता नही कौन लड़की है ये बल्कि भाई के बेस्ट फ्रेंड अमित भईया को भी उस लड़की के बारे में कुछ नहीं पता – |”

अंकिता संजीदा होती अतुल के कंधे पर हाथ रखती हुई बोलती है – “छोड़ो न अतुल – ये सोचो भईया को पूरे दो साल के बाद होश तो आ गया – |” फिर जल्दी से अपने चेहरे का भाव बदलती हुई बोली – “और अब से अपना नोट्स खुद तैयार करना शुरू कर दो -|” अपने बैग से दो रजिस्टर निकालकर उसके सामने रखती हुई कहती है – “बहुत काम करा लिया तुमने मुझसे |”

“अरे यार आज तक का और काम कर दो प्लीजज…|” अतुल उसकी खुशामद करने पर उतर आया|

“अबे तेरी वज़ह से हमें टाइम नही मिलता|’ कहते हुए जयंत अंकिता के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोला|

अब दोनों की नज़रे मुस्कराती हुई आपस में मिल गई|

“दोस्त नही दुश्मन हो तुम लोग – अब खाले बे समोसा|” कहता हुआ अतुल दो समोसा एक साथ प्लेट से उठाता है तो दोनों उसकी इस हरकत पर एक साथ उसको मारने को हाथ उठाते है|

अब प्लेट में बचे तीन समोसे पर किसी का हाथ बढ़ता है तो अतुल झट से उसका हाथ पकड़ लेता है| रितेश कैंटीन में आते उनके बीच शरीक हो जाता है|

“अबे भूख लगी है खाने दे न |” अतुल द्वारा पकड़े अपने हाथ को हिलाते हुए रितेश कहता है|

“खाना बाद में पहले आज के नोट्स |” अतुल धीरे से जयंत को आंख माँरता हुआ रितेश के आगे अपना हाथ बढ़ा देता है|

जब अतुल उसका हाथ नही छोड़ता तो थोड़ा तिरछा होता हुआ अपने खुले बैग से ऊपर की ओर दिखती एक कॉपी उसकी तरफ बढ़ा देता है – “ले पर कल तक दे देना|” कहता हुआ दूसरा हाथ फ्री होते वह उस हाथ से भी झट से दूसरा समोसा उठाता हुआ तुरंत वहां से निकल जाता है, पीछे अतुल अरे करता रह जाता है|

सब जानते थे कि अतुल समोसे का कितना दीवाना था, अभी प्लेट में आखिरी समोसे की तरफ वो हाथ बढ़ा ही रहा था कि पीछे से संजना आती हुई झट से उसे उठा कर अपने मुंह से आधा बाईट लेती हुई बोली – “मैं एक समोसे के बदले अपना नोट्स दे सकती हूँ|”

अतुल की बेचारी हालात पर अब जयंत और अंकिता की साथ में हँसी छूट जाती है|

***

अपने सारे लेक्चर खत्म करके कॉलेज से बाहर निकलते अपने किसी टीचर से उसकी नज़र मिलते अतुल उन्हें विश करता हुआ अपनी बाइक की ओर बढ़ने लगता है कि सर उसे पुकारते हुए पूछने लगे – “अतुल अब चिराग कैसा है ?”

“अभी ठीक है भईया |”

“ओके टेक केयर हिम |” कहते हुए वे उसके विपरीत दिशा की ओर बढ़ जाते है, उनके जाते अतुल बाइक तक पंहुचा ही था कि उसका मोबाईल बज उठा, उसे उठाकर कान में लगाते उसे याद आ गया कि ये उसके बड़े भाई का परम मित्र अमित है|

दूसरी ओर से आती आवाज़ वह सुनता है – “अच्छा चिराग को होश आ गया – मैं आज ही उससे मिलने आता हूँ – ओके |”

अतुल बीएससी के सेकण्ड इयर का स्टूडेंट था और कॉलेज में अपनी खुशमिजाजी और दोस्ताने व्यवहार के लिए काफी मशहूर था| लेकिन कुछ समय से उसकी चर्चा के साथ उसके भाई की चर्चा भी जुड़ गई थी, असल में दो साल पहले हुए किसी एक्सीडेंट में अचानक कोमाँ  में जाने के बाद उसका बड़ा भाई चिराग जो उस समय इसी कॉलेज में बीएससी के थर्ड इयर का स्टूडेंट था कुछ दिन पहले ही होश में वापस आया, लेकिन ये वापसी कई सवालों के साथ थी कि आखिर उस दिन किसके लिए वह रात के डेढ़ बजे क्यों तुरंत निकल गया?? और ये सुगंधा कौन है?? जिसका नाम वह अपनी बेहोशी तक लेता रहा, वह वाकई कोई है भी या उसका कोई ख्याल !!!

क्रमशः………

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