Kahanikacarvan

हमनवां – 35

अब घर पूरी तरह से मेहमानों से भर गया था, शैफाली को जिस कमरे में ठहराया गया था अब उसके साथ पूजा आ गई थी|

बिस्तर पर औंधी लेती शैफाली के पैर हवा में आगे पीछे डोल रहे थे, उसकी नज़रों के सामने खड़ी पूजा अपने बैग से कपड़े निकाल कर सहेज कर रख रही थी, फिर एक पीले रंग का सलवार कुर्ता निकालकर उसके सामने नचाती हुई पूछती है – “शैफाली जी देखिए ..|” उसकी बात बीच में ही काटती हुई शैफाली उसे टोकती हुई कहती है “ प्लीज़ डोंट बी फॉर्मल – शैफाली जी से भी मैं उतना ही सुनती हूँ जितना शैफाली से|”

इसपर वह धीरे से हंसती हुई बोली “ ओके जी |” फिर अपने दांतों के बीच जीभ रखती हुई अपने सर पर हाथ मारती हुई फिर हँस पड़ी – “शैफाली ये देखो – आज की हल्दी रस्म के लिए ये ड्रेस अच्छी है न !!”

“हल्दी की रस्म – ये क्या है !!” भौं उचकाकर वह पूछती है तो हैरत में पड़ी पूजा उसके पास आकर बैठती हुई बोली – “अरे हल्दी की रस्म – मैं बताती हूँ – शादी से पहले लड़के लड़की के घर में ये रस्म होती है जिसमें उसके घर के सदस्य हल्दी लगाकर शगुन करते है – |”

शैफाली हैरत से सुनती अब उठकर बड़े ध्यान से उसकी बात सुनने लगती है|

“पांच दिन तक होने वाली दुलहन को सब मिलकर हल्दी लगाते है – पहले परजाई ही शगुन करती है फिर एक एक करके सब लगाते है हल्दी फिर परजाई कुँए से पानी लाकर उसी से उसे नहलाती है|”

पूजा के कहने के अंदाज से शैफाली के चेहरे पर रोचकता पसर जाती है – “अच्छा|”

“और क्या – अभी देखना सब हल्दी खेलेंगे – घर में किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा – देखना बड़ा मजा आएगा – तो चलो तैयार हो जाओ – तुम भी कुछ पीला पहनना|”

“ओके |” कहती हुई शैफाली झट से पलंग से उठती हुई अपने बैग में कपड़े देखने लगी तो पूजा भी वही आती उसके बैग में से कोई पूरी पीली लॉन्ग स्कर्ट और नारंगी टॉप निकालकर उसके सामने करती हुई कहती है – “ये पहनो बड़ा अच्छा लगेगा इसके नारंगी पोल्का डॉट्स से तो ये और खिल उठा है और बाल खुले छोड़ देना – इन सुनहरे बाल पर पीली ड्रेस में बिलकुल विदेशियों जैसी लगोगी|” ये सुन शैफाली खिलखिलाकर हँस रही थी पर पूजा जोश में कहे जा रही थी – “फिर देखना तुम्हें देख उन तीन बहने का कैसे मुंह खुला रह जाएगा|”

“कौन तीन बहने ??” हँसते हँसते शैफाली पूछती है|

“अरे खुद ही देखना – बिलकुल अगल सी दिखती है देखने में भी और जब अपना मुंह खोलतीं है तब भी |”

शैफाली उसे हैरत से सुन रही थी|

“परजाई जी के चाचा की है ये तीनों बहने – अपने आप को जाने क्या समझती है अपने बाल तीनों ने हलके भूरे करा रखे है और कपड़े भी तीनों एक ही तरह के पहनती है और रहती भी हमेशा एक साथ ही है पता है मुझे न उन्हें देखते सिंड्रेला की वो तीनों सौतेली बहने याद आ जाती है|” ये कहते पूजा कस कर हँस पड़ती है|

“अच्छा !!”

“हाँ तीनो जब किसी रिश्तेदारी में जाती है बस अपनी अंग्रेजी बोलती अपने को विदेशी दिखने की भरसक कोशिशे करती रहती है – मुझे तो बड़ा गुस्सा आता है उनकी नौटंकी देख के – परजाई जी भी उन्हें पसंद नहीं करती पर क्या करे रिश्तेदार जो ठहती|” अबकि कहते कहते थोड़ी संजीदा हो उठी – “शैफाली देखना तुम्हारे सामने भी कितना बनेगी – देखना तुम और पूरी शादी भर तीनों मोहित वीर जी के पीछे पीछे डोलती रहेंगी|”

ये सुन शैफाली की हँसी थम गई और शांत होकर वह पूजा की ओर देखती है|

“मेरा बस चलता न तो इन्हें मजा चखाती – हमेशा हर बात पर हाँ हाँ मैं तो ये हूँ मैं तो वो हूँ कहती रहती है |” पूजा कहती कहती पलंग पर बैठती है तो कोई आवाज उनके कानो से टकराती है जिसमें उनके लिए बुलावे की पुकार थी ये सुन पूजा जल्दी से कहती है – “चलो जल्दी से तैयार होते है फुआ बुला रही है|”

फिर दोनों दरवाज़ा उड़ाकाकर एक दूसरे से पीठ कर कपड़े बदल कर तैयार होने लगती है तभी दरवाजे पर दस्तख होती है तो शैफाली को तैयार देख पूजा आ जाओ कहकर उस ओर देखने लगती है तो उसकी आंखे फैली रह जाती है तीनों बहनें एक साथ उस कमरे में प्रवेश करती है|

अब एक तरफ तीनों बहने तो दूसरी ओर उनके सामने शैफाली और पूजा थी जो एक दूसरे को देख अब धीरे से मुस्करा रही थी|

“हाय माई सेल्फ मीतू, शी इज मीता, एंड मीनू एंड आई थिंक यू आर शैफाली फ्रॉम लन्दन, ऍम अ राईट !!” भौं उठाती वह हलके से अंदाज में मुस्कराती उसकी तरफ हाथ मिलाने को हाथ बढ़ा देती है|

“ओला, कोमोडस्तास – इस्तो ई मोई बिएन – एरीस माला|” सर झुकाकर बड़ी प्यारी सी मुस्कान के साथ शैफाली कहती है|

शैफाली की सुन उनके चेहरे की हवाइयां उड़ती देख पूजा धीरे से हँस दी|

“थैंकू जी हमे भी बहुत सारी लैंग्वेज आती है पर वो है न कि हमे अपनी भाषा नही भूलनी चाहिए – अच्छा हम चलती है बस तुमसे इंट्रो करने आए थे – बाय|” झट से एक साँस में कहती कमरे से तुरंत तीनों चली जाती है|

उनके जाते शैफाली मुस्कराती हुई पलंग पर बैठ जाती है तो पूजा उसके पास आती हुई बगल में बैठती हुई पूछती है – “वैसे तुमने क्या बोला था !!”

“मैकसिकन स्पैनिश – ओला मतलब हाय और कोमोडस्तास मतलब कैसी हो – इस्तो ईमोई बिएन मतलब मैं अच्छी हूँ और एरीस माला मतलब तुम बुरी हो|”

“अगर इसका मतलब उन्हें पता चल गया तो आज के बाद से अपनी अंग्रेजी झाड़ना भूल जाएंगी तीनों|” कहती हुई पूजा और शैफाली हँसते हँसते दोहरी होती पलंग पर गिर पड़ती है|

“तुम तो अपनी बंगाली भी बोल देती तो भी इनकी समझ नहीं आने वाली थी|”

“बंगाली !!”

“हाँ शैफाली सेन बंगाली हो न – तो आती होगी न !!”

शैफाली न में सर हिलाती है तो पूजा हैरत से देखती है – “तो घर में भी कोई नहीं बोलता !!”

“मुझे भारत आए अभी कुछ महीने ही हुए है इससे पहले मैं लन्दन में अपने दोस्तों के साथ रहती थी |”

“अच्छा !!’

वे साथ साथ बातें करती बाहर निकलने लगती है –

“मेरी फ्रेंड केनी और एडवर्ड हम तीनों साथ में रहते है – मेरी फ्रेंड केनी भाषाविद है उसी से मैंने हिंदी , स्पैनिश और थोड़ी बहुत जर्मन सीखी वो बहुत सारी भाषाए बोल लेती है|”

“अबकि जर्मन में बोलना तो देखना तीनों तुम्हारे सामने नजर नहीं आएंगी|” कहती हुई वे खिलखिलाती हुई बाहर तक आती है जहाँ से ढोलक की थापों की आवाजे आनी शुरू हो गई थी|

***

शैफाली देखती है लगभग लड़कियों ने पीले रंग के कपड़े पहन रखे थे, चारों ओर अजब सी खुमारी थी, गाँव के शाम के धुंधलके में सोंधी सोंधी खुशबू के साथ तंदूर की आंच की गर्मी वह आंगन से गुज़रते हुए महसूस कर रही थी, वहां एक कोने में खाने की व्यवस्था चल रही थी| शैफाली सब देखती हुई चली आ रही थी कि संगीत की आवाज के साथ एक तेज आवाज सुन उन दोनों का ध्यान आँगन के उसी हिस्से पर टिक जाता है| पूजा शैफाली का हाथ छोड़ उस ओर थोड़ा झुककर देखती है तो हैपी को वहां देख उस ओर चल देती है उसके पीछे पीछे शैफाली भी चल देती है माजरा जानने|

खाना बनने के हिस्से में इधर उधर बड़े बड़े बर्तन रखे थे, वही घर का पुराना नौकर ननकू पानी के पाईप लगा कर बर्तनों में रखी सब्जी धो रहा था तो उसके सामने हैपी खड़ा तेज तेज स्वर में उससे लड़ रहा था| ये देख पूजा झट से वहां आती हैपी को पुकारती हुई पूछती है –“कि गल है हैपी – ?”

छोटा सरदार अपनी कमर में हाथ रखे ननकू की तरफ इशारा करता हुआ कहता है – “साडी साईकिल गन्दी कार दी इसने|”

पूजा देखती है कि वही बगल में खड़ी उसकी साईकिल पर उसने कुछ मारकीन के गीले कपड़े डाल रखे थे और नीचे बैठा अब वह बर्तनों पर झुका था|

“ननकू कि होया ?”

“मैं काज कर रिया हा|”

ननकू अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि बीच में ही जोर से बोल पड़ा – “मेरी साईकिल जान कर गन्दी कर दी|” कहता हुआ उसकी तरफ उछला तो पूजा जल्दी से उसको पीछे से पकड़ लेती है पर गुस्से में वह हवा में इधर उधर हाथ हिलाने लगता है|

“अरे हैप्पी छड न – ओह शरीफ है|”

वह हाथ पैर हवा में मारता रहा और ननकू धीरे धीरे हँसता हुआ देखता अपना काम फिर करने लग गया|

“कोई गल नही – चल हैपी – सबसे लड़ता फिरता है|”

आखिर मुंह बनाते मजबूर होता वह पूजा के साथ चलते चलते पीछे पलट कर ननकू को देखता हुआ कहता है – “मैं न छडनगा|”

छोटे सरदार का ये सारा नजारा दूर से देखती शैफाली हँस पड़ी थी|

***

मानव जैसे ही घर आता है मानसी को सामने देख चौंक जाता है|

“आज शाम कैसे हो गई आने में – अब तो मोहित और वे सब तो है नही फिर !!” मानसी कमर पर हाथ रखे उससे पूछती है|

अपने हाथ की किताब उसे दिखाता हुआ कहता है – “मैं दोस्त से अपनी ये किताब वापस लेने गया था|”

“चलो अब समय पर घर तो आते हो |” एक ठंडी साँस छोड़ती वह अब दूसरी तरफ देखने लगती है पर नहीं पता था मानव क्या कह जाएगा|

“हाँ वे लोग नहीं है इसलिए आप भी तो घर अब जल्दी आने लगी हो |”

ये सुन मानसी एकदम से गुस्से में उसकी तरफ देखती हुई बस कुछ कहने ही वाली थी कि तुरंत उसके हाथ में पकड़ा मोबाईल बज उठा और स्क्रीन का नंबर देख वह एक कर्कश नजर मानव पर डाल फोन लिए अपने कमरे की तरफ चल देती है|

कमरे में आती वह दरवाजा उड़काकर बैठती ध्यान से उस ओर की आवाज सुनती है –

“मानसी बहुत अच्छा काम किया – अब सुनो अगला आर्टिकल इससे भी भारी होने वाला है पर तुम चिंता मत करना तुम बिलकुल सही हो – अश्विन कुमार जो समाज में अपने हितैषी होने के मुखौटे के पीछे का सच सबसे छुपाए है उसे एक एक करके तुम्हें उजागर करना है – मैं तुम्हें अब जो तस्वीर भेजने वाली हूँ उससे साथ तुम्हारा जबरदस्त आर्टिकल आना चाहिए – वो तस्वीर एक लड़की की है जो नर्स थी – अश्विन कुमार ने उसे डरा धमका कर शादी की और उसके बाद वह रहस्मय तरीके से गायब हो गई – पता नही अपना मतलब निकलने के बाद मार दिया या बेच दिया – तुम इस बात को खुलकर उजागर करना – मैं तुम्हारे मेल में सारे सबूत भिजवा रही हूँ – बाय|”

फोन के कटते मानसी मानव पर का गुस्सा भूल कर पीसी के सामने बैठ कर अपनी मेल खोलने लगती है|

*** क्रमशः

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