
हमनवां – 72
कबूल है रस्म अदायगी के साथ निकाह होते खुतबा सुनाया जाता है जिसके बाद दोनों आधिकारिक विवाह पर हस्ताक्षर करते है| उनके हस्ताक्षर करते दोनों परिवार उन नए जोड़े को अपना अपना आशीर्वाद देने लगते है|
नजमा आपा बडी हसरतो से नाज और इरशाद का चेहरा अपनी हथेली मे भरती हुई कह रही थी – “रस्मे तो जिस्म अदा करते है पर निभाई तो दिल से जाती है – आज लग रहा है जैसे हम दुनिया के सबसे खुशनसीब बहन है – बस आप दोनों को यूँही एकसाथ देखते हमारी बाकी हसरते भी पूरी हो जाएँगी |” कहती हुई बारी बारी से दोनों का माथा चूम लेती है|
कुछ देर मे बाकी दोस्त इरशाद को घेरे बैठे थे| जब सब बड़े उसके पास से हट गए तो वे नए नए प्लान बनाते उसे परेशान करने लगे|
“देख इरशाद घबरा मत कुछ पूछना हो तो पूछ ले – तू मोहित की क्लास ज्वाइन कर ले – इसका अनुभव कुछ ज्यादा है बाकी हम दोनों तो अभी भोले प्राणी है |”
जय इरशाद को कोहनी मारता हुआ कहता है तो ये सुनते मोहित जय और समर को बारी बारी से को घूरता हुआ कहता है –
“पता है कितने भोले प्राणी हो तुम दोनों |”
इस पर जय और समर दांत दिखाते मुस्करा देते है|
“वैसे आज के लिए मैंने जबरदस्त प्लान किया है – कुछ नया गेम है – चल इरशाद हम दोनों भाई एक टीम मे रहकर बाजी मारेंगे |”
जय की बात पर समर बोलता है –
“नही इरशाद मेरी टीम मे रहेगा और सारी रात ये टीम नही बदलेगा|”
समर की बात सुनते मोहित कहने लगा –
“यार तुम दोनों हमेशा इरशाद के साथ टीम बनाते हो – आज तो मैं इरशाद को कतई कही नही जाने दे रहा – ये मेरी ही टीम मे रहेगा – समझ गए तुम दोनों |”
तब से उन सबकी सुनते इरशाद एकदम से भड़कते हुए कहता है – “मुझे तुम तीनो का प्लान अच्छे से पता है और मैं तुम तीनो के झांसे मे नहीं आने वाला – समझे |”
“क्या कहता है भाई – अपन सारी रात चारो लूडो खेलेंगे – मैंने पूरा प्लान बनाया हुआ है फिर उसके बाद कैरम फिर रमी भी है साथ मे ढेरो स्नैक्स पार्टी – यार इरशाद और क्या चाहिए तुझे – बोलेगा तो गेम मे नाज को भी शामिल कर लेंगे |” आँख मारते हुए जय कहता है तो बाकी फुसफुसाते हुए हँस पड़ते है जबकि इरशाद मुंह बनाते हुए भड़क उठता है –
“ऐसा है तुम अपने अपने प्लान अपने पास रखो – तुम तीनो को जो भी प्लान है न मेरे साथ नही चलेगा |”
“क्या कहता है भाई – फिर क्या करेगा तू सारी रात ? बोर नहीं हो जाएगा |” कहता हुआ जय बिन आवाज के कसकर हँस पड़ता है इसके विपरीत इरशाद उसे बुरी तरह से घूरे जा रहा था|
तीनो यूँही इरशाद को खीचने मे लगे थे तभी आपा इरशाद को बुलाती हुई कहती है – “आर्सी मुशरफ के लिए आए इरशाद |”
आपा की आवाज सुनते इरशाद तुरंत उनके बीच से उठता आपा के पास चल देता है| अब इरशाद और नाज एकदूसरे के सामने बैठे थे| इरशाद छुपी नज़र से नाज को देख ले रहा था वह अभी एक लम्बा घूँघट किए उसके सामने बैठी थी| जालीदार परदे के बीच से ही इरशाद उसका दीदार करता एक लम्बी ठंडी आह छोड़ता है| वह भी हौले से मुस्करा देती है| छुपी हुई नज़रो से वे एकदूसरे को देख रहे थे| नाज के साथ मानसी, ऋतु और शैफाली बैठी थी| अब इस रस्म मे उनके बीच एक आईना रखा जाना था जिसमे वे पहली बार एकदूसरे का अक्स देखते जहां इस रस्म के लिए इरशाद उतावला बना हुआ था वही मानसी नाज़ को पकड़े हुए कहती है –
“इतना भी आसान नहीं है इरशाद साहब – कुछ गिफ्ट लाए हो न ?”
“तो वो तुम सबके सामने थोड़े ही दूंगा |”
“कुछ धमाल गिफ्ट है क्या – अब तो हमे देखना है |” कहती हुई मानसी सबके साथ कसकर खिलखिला पड़ती है|
नाज़ भी घूँघट के पीछे से मुस्करा पड़ती है|
तभी आपा आती हुई कहती है –
“ये रस्म हो जाने दीजिए फिर आप जितना चाहे अपने दोस्त को परेशान कर लीजिएगा |”
“क्या अप्पी इसकी भी इन्हें परमिशन देने की क्या जरुरत है – इनका तो यही गोल ही रहता है |” इरशाद कुछ इस तरह मुंह बनाते हुए कहता है कि बाकी सबकी हँसी छूट जाती है|
अब कोई आकर उनके बीच आईना रखता है जिसके बाद वे दोनों झुककर उसमे एकदूसरे का प्रतिबिम्ब देखते है| उस पल दो दिल उस क्षणिक अहसास मे एकदूसरे को बड़ी हसरतो से देखते रह जाते है| वे तब तक एकदूसरे को निहारते रहे जब तक आईना उनके बीच से हट नहीं गया|
हसरते दीवानगी बन गई और मन यूँ बुदबुदा उठा – ‘सांसो के किनारे बड़े तनहा है बस एक बार आकर तू मुझे चूम ले कि मन दरिया हो जाए..|’
रस्म और दावते सारी रात चलती रही| सभी एकसाथ मस्ती करते फिर रहे थे| मोहित अब एक कोना पकड़े शैफाली के साथ बैठा एक ही प्लेट मे खा रहा था| एक कौर खुद खाता और दो कौर उसके मुंह मे डाल देता|
“बस भी करो – मैं बेबी की वजह से नही पर इतना खाना खाने से जरुर मोटी हो जाउंगी |”
“लो अभी खाया भी क्या है – पूरो प्लेट हम दोनों को फिनिश करनी है समझी न |” मोहित झूठ मूठ की नाराजगी दिखाते हुए कहता है|
“समझ रही हूँ खूब – तब से बस मुझे ही खिलाए जा रहे हो – वैसे तुम्हारे प्यार से ही पेट भर जाता है – खाने की जरुरत ही नही रहती |”
शैफाली शरारती मुस्कान के साथ कहती है पर मोहित गंभीरता से कहने लगा – “कोई मस्ती नही – तुम मुझे बहका नही सकती – चुपचाप से खाओ |”
इस पर शैफाली ठंडी आह छोड़ती हुई कहती है – “हाँ बहका नही सकती ये मैं अच्छे से जान चुकी हूँ – कितनी बार कोशिश की थी कि तुम खुद ही पास आ जाओ पर तुम तो बस तुम ही निकले – एक किस भी नहीं किया |”
शैफाली तिरछी मुस्कान से मोहित को देख रही थी जबकि मोहित के हाव भाव मे कुछ शर्मीले से भाव उतर आए| वह किसी तरह से अपनी हँसी रोकते हुए सख्त भाव से उसे देखता फिर से खिलाने लगता है|
“पर क्या पता था मौका पाते ये जनाब तो दिल से सीधे जिस्म मे ही उतर जाएँगे |”
“अच्छा !! वो तुमने मजबूर किया था नहीं तो मैं बड़ा ही सीधा प्राणी हूँ – पूछ लो किसी से |”
“न जी अब आपके सीधेपन का सबूत नौ महीने बाद दुनिया देखेगी |”
“शैफाली तुम भी न !!”
“ओहो माय गॉड ये जनाब शरमाते भी है |”
“शैफाली चुपचाप से खाओ नही तो मिर्ची खिला दूंगा फिर बस सी सी करती घूमना |”
“तो खिलाओ न – मैं तैयार हूँ |” शैफाली मोहित के शरमाते हाव भाव देखती मजे लेती कस कर हँस पड़ी|
मौका देख मोहित एक बड़ा कौर उसके मुंह मे डालता हुआ कहता है – “हाँ बस ऐसे खाने के लिए मुंह खोलो |”
“बस न – तबसे खाते खाते बोर हो गई – वैसे मुझे खाना तीखा क्यों नही लग रहा ?”
“मैं अब तुम्हे तीखा खिलाऊंगा ही नहीं – अब चुपचाप से खाओ |”
“वही मैं ढूंढ रही थी कि हंसो का जोड़ा गया किधर ?” आवाज सुनते मोहित और शैफाली का ध्यान भावना की ओर जाता है जो उधर ही चली आ रही थी उसके साथ साथ परजाई जी भी थी|
दोनों को यूँ प्यार से खाते देख वे मुस्कराती बोल उठी – “पता नही परजाई जी क्या जादू किया है मोहित ने कि शैफाली मेरे पास आती ही नही |”
भावना की बात पर परजाई जी मुस्कराती हुई कहती है – “बस यही तो मैनू भी कहन्दा है – पहले तो परजाई जी के आस पास नज़र आंदे थे पर अब तो फुरंस्त ही नही मिलदी |”
उन दोनों की हँसी को बारी बारी से घूरते हुए मोहित कहता है – “क्या आप दोनों मेरी खिचाई करने बैठी है यहाँ ?”
“क्यों अब ये भी काम शैफाली करेगी क्या ?”
भावना की बात पर सभी हँस पड़ते है, अब वहां हैपी और ताई जी गुरमीत का हाथ पकड़े वही आ जाती है| मोहित अब बची प्लेट से खुद खाना खा रहा था|
भावना अब शैफाली के पास आती उसे गले लगाती हुई कहती है –
“परजाई जी अब बहन तो मेरी पराई हो गई कितना मन रहता है कुछ दिन रहे मेरे साथ पर मोहित छोड़ता ही नहीं |”
भावना की बात सुनते ताई जी आगे कहती है – “मैनू तो इनको खुस देखकर ही मन चंगा हो जांदा है – फिर शहर विच सुविधा भी चंगी होंदी है नहीं तो मेरा बी मन करदा है कि ये साडे विच रहे |”
उनकी बात पर हामी भरती हुई भावना कहती है – “आप फ़िक्र न करे शैफाली नही आ पाती तो क्या मैं चली जाती हूँ न इससे मिलने |”
इस पर सभी मुस्करा देते है| भावना आगे कहती है –
“और हाँ आप सभी के रुकने का इंतजाम मैंने अपने फ़्लैट मे किया है – मैं कोई इनकार नही सुनुगी आप सभी एक बार तो मेरे पास आइए – मुझे अच्छा लगेगा |”
“चंगा जी |” कहती हुई ताई जी भावना का हाथ प्यार से थाम लेती है|
इधर समर के डैड और बुआ जी शादी पर बात कर रहे थे| वे कहने लगे –
“अब समर को मैं आपको सौप चुका हूँ तो इस तरह से शादी की जिम्मेदारी तो लड़के वालो की हुई – आप जैसा कहेंगी वैसा ही होगा – रही रस्मो की बात तो मेरी ओर से ऋतु और समर तो कबके इस बंधन मे बंध चुके है – |”
बुआ जी समर के पिता कि बात पर खुश होती हुई हाथ ही जोड़ लेती है|
“आपने तो पल मे मेरी सारी चिंता दूर कर दी – बस कल से सारी रस्मे शुरू करनी है – शादी आश्रम मे रखी है – हमारे गुरु का आशीर्वाद मिल जाएगा |”
“हाँ क्यों नही – ये तो बहुत अच्छी बात है – मैं तो बस बच्चो कि ख़ुशी चाहता हूँ – आप जहाँ कहेंगी वही आ जाएँगे|”
ये सुनते बुआ जी ख़ुशी से फूली नही समा रही थी वैसे भी वे चाहती थी कि ऋतु की शादी सनातन धर्म के अनुसार हो और अब तो समर के पिता को भी इसपर एतराज नही था| बुआ जी कुछ समय बाद ही चली जाती है वैसे भी बडी मुश्किल से यहाँ आई थी पर वर्षा ऋतु के साथ ही रुक गई थी|
पूरी शादी भर वर्षा मौका देखकर मानव को तंग करती रही| फिर कही एकांत मे उसे धक्का देकर रोकती हुई कहती है –
“ज्यादा हीरो बनते फिर रहे हो – मुझे अवोइड क्यों कर रहे हो !”
“तो मुझे स्टोक कर रही हो ?”
“ए सुनो – मैं इतनी भी फालतू नहीं हूँ जो तुम्हे स्टोक करती फिरू – बस तुम मानसी दीदी के भाई हो तो इसलिए जरा पूछ लिया तो इतना भाव खाने लगे – |”
वर्षा मुंह बनाती हुई उसके सामने खड़ी रही पर मानव उसे किनारे करता जाने लगा तो वर्षा फिर से उसका रास्ता रोकती हुई कहने लगी – “ज्यादा एटीटयूड दिखाने की जरुरत नही है – जब मैं तुमसे बात कर रही हूँ तो जाने का क्या मतलब – अच्छा कितना पर्सन्टेज आने की उम्मीद है – वैसे जितना भी आएगा मुझसे तो कम ही आएगा |”
“अब मैं जाऊं ?”
“ये क्या बेबी की तरह जाऊं जाऊं की रट लगा रखी है – मैं बात कर रही हूँ न तुमसे – वैसे मैं तुम्हे बता दूँ मैंने कॉलेज के लिए अप्लाई कर दिया है और मैं तो कहती हूँ तुम भी कर दो – नै तो घर बैठकर कोई कुकिंग शो ही ज्वाइन करना पड़ेगा |” कहती हुई वर्षा मानव पर कसकर हँस पड़ती है जिससे खीजता हुआ मानव उसे धक्का देता उसके विपरीत चला जाता है| पर वर्षा फिर भी हंसती रहती है|
इधर सभी इरशाद की शादी मे आ गए थे पर अरविन्द कुमार नही आए थे इससे जय उन्हें कॉल भी कर चुका था जिसपर उनका पीए गौतम उनका निकलना बता देता है| वे भी कोई जरुरी मीटिंग करके बस निकलने वाले थे कि कोई पार्टी का कार्यकर्ता उनसे मिलने आ पहुँचता है जिसकी सूचना लेकर गौतम उनके पास आता है|
“नहीं गौतम मैं वैसे भी लेट हूँ – मुझे अभी तुरंत ही शादी के लिए निकलना है|”
“पर वो हाई कमान का सन्देश लेकर आया है|”
गौतम के कहते वे अजीब निगाह से उसे देखते हुए पूछते है –
“अभी ऐसा क्या हो गया जिसके लिए वह इंतजार नही कर सकते ?”
अब वे उस कार्यकर्ता के सामने खड़े थे| वह कह रहा था –
“नेता जी चाहते है कि आप इस शादी मे न जाए |”
“क्या !! ये वे कैसे तय कर सकते है – उन्हें पता है ये हमारा निजी मामला है |”
“उनका कहना है कि अब जब आप सीएम पद के दावेदार है तो आपको अब सोच समझकर जगह पर जाना चाहिए |”
“ये किस तरह की बात है ? वे अच्छे से जानते है कि उन तीनो को ही मैं अपने भाई की तरह ही मानता हूँ फिर वे ये कैसे कह सकते है ?”
“सर – यही बात उन्होंने मुझे आपको समझाने भेजा है – आप इस तरह गैरधर्मी शादी मे जाएँगे तो कल होने वाली सनातन मीटिंग पर असर पड़ेगा – अगर ये शादी कुछ समय बाद होती तब आप जा सकते थे – इसलिए हाई कमान चाहते है कि आप इस शादी मे न जाए क्योंकि इससे हमारी चुनावी निति पर असर पड़ेगा |”
“क्या !!” अरविन्द कुमार हैरानगी से उसे देखते रहे फिर हताश होते वही बैठते हुए बुदबुदाते है – ‘यहाँ रिश्ते भी राजनीती से परे नही रह पाते |’
फिर गौतम को अपने न जाने का संकेत करते हुए कहते वापस अंदर चले जाते है| ये देख कार्यकर्ता जहाँ वापस जाता है वही गौतन कुछ सोचकर जय को फोन करने लगता है आखिर उसे कुछ तो कहकर बात संभालनी थी|
क्या अब रिश्तो पर धर्म हावी होगा ? कैसे होगी समर और ऋतु की शादी ? क्या बुआ जी सहज ही कर पाएंगी उनकी शादी ? और दोस्तों की क्या मस्ती होगी इरशाद और नाज़ की पहली रात की !!! आगे की कहानी के लिए पढ़ते रहे हमनवां…
क्रमशः……………………
Very very nice👏👏👍👍👏😊😊😊👍👍😊😊 very🤔🤔🤔🤔🤔
Very nice maza a gya pad kr
Bful part with lovely emotions 💐
Nice