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हमनवां – 77

दोस्तों की शादी से जो मस्ती की शुरुवात हुई थी अब वो मस्ती अपने अंतिम पड़ाव में थी| मोहित, इरशाद और समर की शादी के बाद अब सब जय और मानसी की शादी के लिए इकट्ठे हो रहे थे| सबके सब इस ख़ुशी को भरपूर जीने को तैयार बैठे थे|

दिल्ली के ग्रैंड पांच सितारा होटल में उनकी शादी का अरेंजमेंट रखा गया था| वह दो सौ प्रिमियम और पचास नॉन प्रीमियम कमरों वाला एक शानदार होटल था| जहाँ बेहद लग्जरी सुविधा मौजूद थी| उस होटल के डेढ़ सौ कमरों को दो दिन के लिए बुक किया गया था| जहाँ घराती और बाराती एकसाथ रुकने वाले थे| वैसे वहां घराती और बाराती जैसी कोई बात थी ही नहीं क्योंकि सब इस तरह आपस में घुले मिले थे कि कह पाना मुश्किल था कि कौन बाराती की ओर से है और कौन घराती की ओर से है|

सारे लोग सुबह से ही वहां पहुँच रहे थे| यहाँ सारा इंतजाम अश्विन कुमार और कमिश्नर साहब ने मिलकर किया था| पहले दिन मेहमानों के आने और हल्दी मेंहंदी की रस्म के लिए रखा गया था और अगले दिन शादी होनी थी| सभी अब होटल में इक्कठे हो रहे थे| ये एक ग्रैंड शादी होने वाली थी क्योंकि ये राजधानी के भावी सीएम् के दावेदार अश्विन कुमार के भाई और कमिश्नर साहब की बेटी मानसी की शादी थी| बड़े बड़े लोगो का इकट्ठा होना तो लाज़मी ही था|

समर ऋतु, वर्षा, बुआ जी और अपने पिता के साथ पहुँच गया था| उसके पिता जहाँ अपने लिए सबसे कोने का अत्यधिक खिड़की वाले कमरे का चयन करते है ताकि वे अपने खाली समय में वहां से होटल का विशाल बगीचा निहार सके| वैसे भी प्रकृति के नजदीक होना उन्हें मानसिक सुकून देता था| वही बुआ जी अपने जीवन में पहली बार किसी होटल आई थी| इससे पहले वे समझती थी कि होटल बस खाने पीने का स्थान होता है पर वहां शादी भी संपन्न हो सकती है ये उनके सोच से भी परे था| उस पर इतना अद्भुत सुन्दर होटल वे अपनी फटी आँखों से देखती रह गई| तभी उनकी नज़र एक दूसरे आश्चर्य पर पड़ी तो वे दुबारा दंग रह गई| उनके गुरु जी अपने कुछ चेलों के साथ वही होटल में ठहरे थे| पता करने पर पता चला कि उनका दो दिन बाद अमेरिका में प्रवचन है जिसके लिए उन्हें आज ही फ्लाईट से निकलना था पर फ्लाईट लेट होने से उनके प्रवचन के व्यवस्थापकों ने आज रात भर के लिए उनका उस होटल में ठहरने का इंतजाम कर दिया था| बुआ जी बहुत मन हुआ कि वे उनसे मिले पर समर की शादी के बाद से वे उनसे कुछ खफा से थे जिससे वे भी उनके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पाई|

वर्षा तो आते बस मानव को खोज रही थी| उसकी चंचल निगाह आखिर मानव को देखती मौका पाकर उसके पास चल देती है| मानव कुछ खाली खड़ा था क्योंकि अंश को अपना दोस्त हैपी जो मिल गया था| हैपी और अंश दुबारा एकदूसरे को मिलते एकदूसरे का साथ छोड़ने को तैयार न हुए| ये देखते मानव ने राहत की सांस ली पर अपनी तरफ दूसरी आफत आते देख वह झट से एक कमरे में चला गया|

पर मानव को क्या पता था वह आफत से बच नही रहा बल्कि आफत के पास पहुँच रहा है| वह लॉबी के पास का पहला कमरा था जिसे खाली समझ मानव उसमे चला गया|

“अरे वाह बेटा बिलकुल सही समय आए हो – मैं भी न बड़ी परेसान हुई जा रही थी – कच्छु समझ में ही नही आ रहा|”

वो ऋतु और वर्षा की बुआ जी थी जिन्होंने उस पहले कमरे में शांति से रहना चुना और इस वक़्त उस अतिआधुनिक कमरे में खुद को फसा हुआ समझ रही थी| मानव अवाक् उनकी नज़रो के सामने खड़ा था और वे बोले जा रही थी –

“वो दोनों मोडी भी जाने कहाँ चली गई और मैं बेचारी परेसान हो गई – बेटा न इधर अलमारी ही खुल रही और न नल में पानी आ रहा – जरा कही से बाल्टी पानी तो ले आ |”

बुआ जी हलकान सी उसकी नज़रो के सामने खड़ी उस लग्जरी कमरे की कमिया गिना रही थी| जब मानव कुछ यूँही अवाक खड़ा सुनता रहा तो वह उसके पास आकर उसे हिलाती है जैसे उन्हें लगा हो कि मानव कही खड़े खड़े तो नहीं सो गया|

“जी !!!”

चौंकते हुए वह बुआ जी का चेहरा देखता है फिर उनकी कही सारी बात याद करते हुए वार्डरोब के पास आकर खड़ा हो जाता है| वह एक नज़र उस वार्डरोब को ऊपर से नीचे देखता है| वह कमरा वाकई कुछ ज्यादा ही आधुनिक था| वार्डरोब में कोई हैंडल जैसी चीज नही थी इसलिए बुआ जी खोल नही पाई पर अगले ही पल थोड़ा मुआयना करते मानव समझ गया| फिर एक बटन प्रेस करते वह वार्डरोब स्लाइड की तरह खुल गई|

ये देखती बुआ जी खुश हो गई और अब अगली समस्या के हल के लिए उसका मुंह ताकने लगी| मानव अब वाशरूम के अंदर चल देता है| वह इस बात को लेकर तो सुनिश्चित था कि फिर कुछ ऐसा ही एक्स्ट्रा सिस्टम होगा जो बेचारी बुआ जी को समझ नही आया होगा| इसलिए वह वाल में टैप के पास देखने लगा|

तभी मानव के पीछे आती वर्षा भी धडधडाती हुई उस कमरे में घुसती है और उसकी भेट भी बुआ जी से हो जाती है| पर वापसी का कोई चांस नहीं था| बुआ जी उसे देखते शुरू हो गई –

“कहाँ चली गई थी मोडी ? देख न तबसे परेसान हो गई – बाथरूम में भी पानी न आ रहा – वो मानव गया है देखने…|”

“अच्छा – मैं देखती हूँ |”

बुआ जी की आधी अधूरी बात सुनती वर्षा झट से वाशरूम में चल दी जहाँ मानव टैप के पास खड़ा था और टच बटन से शावर को टैप पर लगा रहा था| पर वर्षा जो किसी टिफन की तरह आई और बस आती ही उस बटन से उलझ पड़ी| इससे पहले कि मानव से उसे बता पाता कि उसने ठीक कर दिया वर्षा फिर उसे टच करती है और अगले ही पल शावर से तेज पानी सीधे मानव को भिगो देता है|

खड़े खड़े मानव पूरा तरबतर हो गया| ये देखते वर्षा की तेज हँसी छूट पड़ी पर इसके विपरीत मानव में तेज गुस्सा भर गया| जब तक वह दुबारा शावर बंद करता वह अच्छा खासा भीग गया था|

अब मानव उसे कसकर घूर रहा था वही वर्षा पेट पकडे हंसती हुई कहने लगी –

“तुम तो भीगी बिल्ली लग रहे हो |” और कहती हुई फिर कसकर हँस पड़ी|

तब तक बुआ जी भी आती है और मानव को भीगा और वर्षा को हँसते देख बोल उठी –

“अरेर्र क्या हो गया – नल ठीक करने लगे थे क्या ?”

ये सुनते वर्षा को फिर से हँसी आ गई|

“मानव अब बुआ जी का ध्यान एक बटन की तरफ करता हूँ कहता है –

“आप बस इसे दबा दिया करे पानी आ जाएगा |”

“बड़ा अच्छा काम किया पर थोड़ा संभाल कर करते तो जे हालत न होती – जाओ बेटा कपडा बदल लो नहीं तो सर्दी हो जाएगी |”

बुआ जी हमदर्दी से ज्यादा उसका ध्यान वर्षा की उस हँसी से था जो अब वह बंद होंठ के बीच से हँस रही थी|

अब वाशरूम से बाहर आ जाता है| मानव देखता है कि उसकी शर्ट की ऊपरी पॉकेट में रखा उसका मोबाईल भीग गया था| ये देखते मानव उसे हाथ में लेता बोल उठा –

“शिट – मेरा मोबाईल !”

“क्या हुआ भीग कर खराब हो गया ?” उसके पीछे से आती वर्षा जल्दी से पूछती है|

अबकी मानव उसकी ओर घूमकर दुबारा उसे घूरता हुआ लगभग बिफर ही पड़ता है –

“हाँ मेरे कपड़े, मेरा मोबाईल, मेरा दिमाग और मेरा समय सब खराब हो गया|”

“अपनी शक्ल बोलना तो भूल गए – ओह वो तो पहले से ही खराब है |” वर्षा फिर उसकी हँसी उड़ाती हुई कहने लगी वही मानव उसे कसकर घूरता हुआ बाहर निकल गया|

वह आगे बढ़ता रहा और पीछे से उसे वर्षा की चिढ़ाने वाली हँसी सुनाई देती रही| पर ये तो मानव जानता था कि इस दो दिन तो वर्षा उसे ऐसे ही परेशान करने वाली है|  

मानसी भी होटल पहुँच चुकी थी| कमिश्नर साहब की पत्नी के गुजरने के बाद से उनकी बहन की अब उनके परिवार के सबसे नजदीक रह गई थी इसलिए मानसी के मौसा मौसी भी अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ समय पर आ पहुंचे थे और आगे की रस्म के लिए सुनीता मौसी के साथ सारी तैयारी करा रहे थे|

जय के लिए तो उसका सारा परिवार उसके दोस्त और उसके बड़े भाई अश्विन कुमार ही थे| इससे उसकी ओर का सारे रिवाज का इंतजाम मानसी के परिवार वाले देख रहे थे|

नूर और इरशाद कबके होटल पहुँच चुके थे| नूर की अम्मी और अब्बू जो इरशाद के दोस्तों को खासा पसंद नहीं करते थे पर वे भी इस शादी में आने से खुद को न रोक पाए आखिर भावी सीएम् के भाई की शादी का मेहमान होना कोई कम बात नही थी| नज़मा आपा और अहमद मियां तो पहले ही शादी में शरीक होने आ पहुंचे थे और सारी तैयारियों में अपना हाथ बंटा रहे थे|

मोहित भी शैफाली को साथ लिए आ पहुँचा था| वही भावना पवन के साथ थी| समर की शादी के बाद परजाई जी और ताई जी भाई जी के साथ वापस लौट गई थी| पर जब वे जय की शादी के लिए दुबारा दिल्ली आए तो दार जी भी उनके साथ साथ हो लिए| असल में अपनी तबियत की वजह से वे समर और इरशाद की शादी में आ नही पाए थे फिर थोडा भी बेहतर लगने पर वे जय की शादी में शरीक होने से खुद को रोक न सके| उनका आना सबको और भी प्रफुल्लित कर गया|

इस तरह पहले दिन की रहम के लिए सारे के सारे दोस्त और उनके रिश्तदार आ पहुंचे थे| वही कुछ कमरे अश्विन कुमार के ख़ास नेताओ और कश्मिनर साहब के आला अधिकारियो के परिवारों के लिए भी बुक थे पर वे सभी एन वक़्त यानी शाम को आने वाले थे| आगामी चुनाव की तैयारी में वे सब काफी व्यस्त थे पर अश्विन कुमार के भाई की शादी में तो उन्हें आना ही था| इसी कारण वहां सिक्योरटी का भारी इंतजाम भी था| उन डेढ़ सौ कमरों के अलावा शेष सौ कमरे होटल के बाकी गेस्ट के लिए थे| जिनमे कुछ विदेशी सैलानी तो कोई बिजनेस मीटिंग के लिए बुक हो रहे थे|

एक तरह से होटल में अच्छी खासी भीड़ थी और सभी व्यस्त नज़र आ रहे थे| वही मानसी हल्दी की रस्म से पहले ही चुपके से हाथो में हल्दी भरे हुए जय को खोज रही थी| उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान के साथ साथ ढेरो रोमांच भी समाया था|

पर उसे पता नही था कि वह जिसे खोजने आई थी वह एक ख़ास मीटिंग में मौजूद था जहाँ कमिश्नर, डीजी, आई जी के साथ कुछ स्पेशल पुलिस कर्मी मौजूद थे| सिक्योर्टी हेड बता रहा था कि –

“खबर पुख्ता है – ये उनका अब तक का सबसे बड़ा हमला होने वाला है क्योंकि इलेक्शन करीब है और इस वक़्त माहौल में अफरातफरी मचाना उनके लिए फायदे का सौदा होगा – इसके लिए उनका निशाना भारी संख्या में नेता है |”

“तो इसका मतलब एक बार फिर संसद में हमले की तैयारी है !!” डीजी झट से पूछ उठे और बाकि गंभीर भाव से उनकी ओर देखने लगे|

क्रमशः…….

4 thoughts on “हमनवां – 77

  1. Jai Babu ki shaadi me koi na koi gadbad to honi hi thi.. pehle mangni me bhi aur ab shadi k time bhi ..
    Baaki mahaul boht badiya bna hua hai shaadi ka..
    Manav to varsha se pareshan hi ho gya bechara..

  2. Bina pareshani ke jay aur Mansi ek ho hi nahi sakte hai. Phir ek nayi problem aane wali hai unki life me.

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