Kahanikacarvan

हमनवां – 80

वे चेहरे बता रहे थे उनका मकसद| उनकी आँखों से क्रूरता जैसे टपक रही थी| वे संख्या में चार थे| वह लौड्री रूम था जहाँ अच्छा खासा कपड़ो का अम्बार लगा था जिसके बीच वे चारों हथियारों से लैस खड़े थे| उन सबके हाथों में ऐ के 47 और पीठ पर पिट्टू बैग था| उनमे से एक बाकि चारो की ओर तीखी नज़र किए बोल रहा था –

“सब गड़बड़ कर दी – बोला था जब तक हम अगल अलग मंजिल में बंट नही जाते तब तक शांत रहना है – धमाका होते यहाँ सभी सावधान हो गए है |”

“फिर अब क्या करना है गफूर भाई ?” उसके साथ वाला बोलने से खुद को रोक न सका|

“जिहाद…|” वे बेहद क्रूरता से बोलता है – “जो करने आए है वो तो करना ही है – अब प्लान में थोडा चेंज होगा – देखो – ये दो मंजिला होटल है और इस वक़्त हम ग्राउंड फ्लोर में है – बिलाल तुम पहली मंजिल में जाओगे और यामीन तुम दूसरी मंजिल में जाओगे |” वे सारे उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे और वो अपना प्लान जैसे हवा में आकृति खींचकर बता रहा था – “कैसे भी हमे टारगेट तक पहुंचना है और अपना काम करना है – याद रखो हमारा मकसद है ज्यादा से ज्यादा मौत देना – |”

वे इस बात पर समर्थन में मौन सर हिलाते है जैसे उसे बीच में टोकना नहीं चाहते थे|

“इस वक़्त सभी एलर्ट मोड पर आ गए होंगे – इसलिए अगला कदम बड़ी सावधानी से उठाना होगा – हमारा मकसद कैसे भी मंजिल तक पहुंचना है अभी – ताकि हर मंजिल पर धमाका कर सके – फिर इन सब को संभलने का मौका भी नही मिलेगा |”

“पर गफूर भाई हम सब जाएँगे कैसे – बाहर तो ऐसा सन्नाटा है कि चीटीं भी चलेगी तो आवाज होगी |”

यमीम की बात पर गफूर बस उसे घूरता हुआ कहने लगा –

“हर सीढ़ी को पार करने में सात मिनट लगते है – सब अपनी अपनी घड़ी मिला लो |” गफूर के कहते बाक़ी सभी अपनी अपनी कलाई घड़ी दुरुस्त करने लगे|

वह आगे कहता है – “ठीक सात मिनट में पहली मंजिल और अगले सात मिनट में दूसरी मंजिल में पहुँच जाओगे – सीढियों पर कोई कैमरा नज़र में नही है लेकिन कोरीडोर में है – इसलिए जैसे ही सात मिनट में बिलाल जब सीढ़ी पर खड़ा होगा तब अगले सात मिनट में यामीन दूसरी में पहुँच जाएगा और यही ठीक समय नीचे लॉबी में अगला धमाका होगा जिससे सबका ध्यान नीचे रहेगा पर तुम दोनों उसी वक़्त अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाओगे – कोरिडोर से हर सांतवा कमरा एक स्टाफ रूम है जिसका दरवाजा बंद नही होता – बस अगला धमाका वही करना है और फिर उसके बाद किसी का कदम रुकना नहीं चाहिए |”

“इंशाअल्लाह – इंशाअल्लाह |” वे चारो अपनी अपनी बंदूके मिलाते हुए बोलते है|

अब गफूर वही से कपड़े छांटता हुआ वेटर के कपड़े उन दोनों की ओर बढ़ाते हुए कहता है – “ये लो इसे पहनकर कमरे से बायीं ओर दीवार से सटकर चलना तो कैमरे में पहचाने नही जाओगे – जाओ और अपना मकसद पूरा करो|”

बाकी के दो यही करते है| वे अपने अपने कपड़ो के ऊपर ही वेटर की वर्दी पहनकर बाहर निकलने लगते है| पिट्टू बैग अभी भी उन दोनों की पीठ पर था|

***
मानसी और इरशाद होटल स्टाफ की उस इंटीरियर मेनेजर के साथ दूसरी मंजिल पर थे और वह उन दोनों को पहली मंजिल की ओर पीछे के रास्ते से ले जा रही थी जिसे स्टाफ यूज करता था| तभी मानसी का मोबाईल बजता है और उसके पार से ऋतु की परेशान सी आवाज उसे सुनाई देती है –

“बुआ जी यहाँ नही है – ये बात मुझे वर्षा ने अभी बताई कि वे यहाँ आने से पहले अपने गुरूजी जो पहली मंजिल में ठहरे है उनसे मिलने गई थी – मानसी मुझे उन्हें लेकर बहुत चिंता हो रही है – वे पता नही कहाँ फसी होंगी – उनके पास तो कोई मोबाईल भी नही है |”

“तुम फ़िक्र मत करो – हम यहाँ इसीलिए आए है ताकि बाकी के रूम से संपर्क कर सके और सबको सावधान भी कर सके – मैं गुरूजी का रूम पता करके उन तक कैसे भी सूचना पहुंचाती हूँ|”

सब तरफ सन्नाटा और अनजाना सा डर पसरा था कि खतरा जाने कहाँ से किस रूप में आकर प्रगट हो जाए| वे तीनो बहुत ही सावधानी से आखिर उस हिस्से में पहुँच गए जहाँ से बस कुछ कदम पर कंट्रोल रूम था|

इवेंट मेनेजर उन सबको संकेत से एक रूम में जाने का संकेत करती हुई कहती है – “बस यही से वो चौथा रूम है कंट्रोल रूम |”

मानसी और इरशाद उस रूम को साथ में देखते है| वे उस ओर जाने का सोच भी रहे थे या नहीं कि तभी कोई स्पष्ट आहट उनके पीछे से सुनाई पड़ी और वे तीनो झट से पीछे मुड़ गए| वह जय था और उनके अचरच से देख रहा था| इस वक़्त वह हाथ में पिस्टल लिए बेहद घातक रूप में दिख रहा था|

“तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ?”

“हम कंट्रोल रूम जा रहे है ताकि सभी से संपर्क कर सके |”

“वो तो कमिश्नर सर ने कर दिया – सबको अपनी अपनी जगह पर रुके रहने को बोल दिया है –|”

“अच्छा ये तो बताओ – आखिर एक्चुल सिचुवेशन क्या है ?”

मानसी के पूछने पर जय जल्दी से बोलने लगा – “वो जो थ्रेड संसद भवन के लिए था – असल में यहाँ एस्क्युट हो गया – ये आतंकी हमला है – लेकिन इसके अलावा हमे कुछ नहीं पता है कि वो लोग कितने है और कहाँ है पर अभी हुए विस्फोट से बस यही अनुमान है कि वो लोग ऊपर के फ्लोर तक आ नही पाए होंगे – इसलिए कह रहा हूँ कि तुम दोनों भी अभी वही चले जाओ – क्योंकि मैक्सिमम गेस्ट सेकण्ड फ्लोर में है – तुम लोग भी खुद को सुरक्षित करो |”

“जय तुम भूल रहे हो जैसे तुम पुलिसवाले होकर तुम्हारा फर्ज है वैसे हम जनर्लिस्ट है और हमारा भी एक फर्ज है – अगर हम सही सूचना लोगो तक नही पहुंचा पाए तो फिर हम क्या ही किया ?”

मानसी की बात पर जय आगे कुछ कहने वाला था उससे पहले बीच में इरशाद बोल उठा – “हाँ जयमानसी सही कह रही है और तुम हमारी फ़िक्र मत करो – हम एक बार कंट्रोल रूम पहुँच गए तो काफी मदद कर पाएँगे और क्या पता उन आतंकी का मकसद वहां कब्ज़ा करना भी हो तब तो वो हम सबकी स्थिति आराम से समझ जाएँगे |”

“ठीक है – अपना ध्यान रखना|” वह उन तीनो का चेहरा क्रमवत देखता हुआ आगे बढ़ने लगा तो पीछे से मानसी से उसका हाथ पकड लिया| जय दो पल को ठिठक गया| वो मेहन्दी भरे हाथ थे| जय उन्हें गहरे से पकड़कर छोड़ता हुआ मानसी को यूँ देखता है मानों वह आखिरी नजर हो…

क्रमशः…

5 thoughts on “हमनवां – 80

  1. Ye to aapne bhut serious case bana diya .. kha to sadi party maati ka mahol tha or ab aatanki hamle…😳😱

  2. Ye to aapne waqt badal diya .. jazbaat badal diye…
    Kisi ko kuch bhi na ho .. sab sahi salamat ho aur jai Mansi ki shaadi ho jaye…

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