वे चेहरे बता रहे थे उनका मकसद| उनकी आँखों से क्रूरता जैसे टपक रही थी| वे संख्या में चार थे|
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कुछ तो बुरा हुआ था जिसकी धमक सबने सुनी और उसका डर दिलो में उतरता चला गया| जय और मानसी
“मानसी ध्यान से सुनो – अभी कुछ देर में पंडित जी आने वाले है तब कंगन पूजा होगी और तब
दोस्तों की शादी से जो मस्ती की शुरुवात हुई थी अब वो मस्ती अपने अंतिम पड़ाव में थी| मोहित, इरशाद